Vaidehi jyotish paraamarsh



December 25, 2024

(श्रीमती पूजा अग्निहोत्रीदुबे)--------------।तेरा तुझको अर्पण किया लागे मेरा। - नारी है जग का आधार। मां बन कर ममत्व का अर्पण कर देती अनंत दुलार। नारी है जग का आधार।। धन्य है नारी का जन्म एवं धन्य है कन्यादान की प्रथा। मनुस्मृति के अध्याय 3 में कहा गया है ।यत्र नार्यस्तु पूजंते रमंते तत्र देवता। अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। नारी स्वयं शक्ति है एवं ब्रह्मांडकीय व्यवस्था अंतर्गत महालक्ष्मी महा सरस्वती महागौरी अपने तीनों रूपों में अवस्थित हैं शक्ति के बिना तो शिव भी शव ही है प्राचीन कहावत में बोला जाता था कन्या पराया धन होती है। निश्चित ही इसके कुछ गूढ़ार्थ होते थे। एक कन्या का पालन पोषण करके उसे अन्य को समर्पित कर देना अत्यंत ही कठिन कार्य है अतएव जिस घर में कन्या का जन्म हुआ है वे निश्चित ही परम भाग्यशाली हैं और दर्शन की दृष्टि से भी लें तो इस पृथ्वी पर जिसका भी जन्म हुआ है उसको अपनी अंतिम यात्रा पर अकेले ही निकालना पड़ता है और वह भी सब कुछ यहीं पर छोड़कर इसी प्रकार कन्या रूपी रत्न का जन्म हमें यह तो निश्चित ही सिखाता है जिस घर में कन्या है वह कन्यादान की परंपरा का पालन करते हुए बड़ी ही आसानी से उस घर की समस्त जीवात्माओं को माया से मुक्त कर देती है। एवं आरती में बोली जाने वाली उन पंक्तियों को सत्य सिद्ध करती है कि तेरा तुझको अर्पण क्या लगे मेरा अर्थात कन्या धन की प्राप्ति से समूचा परिवार माया से मुक्त होने के सिद्धांत से आसानी से परिचित हो जाता है। अंतिम यात्रा पर जाने से पहले माया से मुक्त होना नितांत आवश्यक है अतः निश्चित ही भाग्यशाली है वे घर जिन घरों में कन्या रूपी रत्न उपस्थित हैै।


कृष्णं वंदे जगद्गुरुं


(1) ---- श्रावण मास में शिव आराधना - पवित्र श्रावण मास का अपना एक अलग ही महत्व है। बादलों से रिमझिम वर्षा के बीच मूकबद्ध एवं क्रमबद्ध वृक्षों की उपस्थिति चारों ओर हरियाली एवं सुंदर पुष्पों से सजा हुआ पृथ्वी का आंगन उस आंगन में स्थित शिवलिंग एवं शिवलिंग की समक्ष यह प्रार्थना। कदा निलिंप निर्झरी निकुंज कोटरे वसन। विमुक्त दुरमति सदा शिरस्थ मंजरी वहन।। बिलोल लोल लोचनों ललाम भाल लग्नका। शिवेति मंत्रमुच्चरन कदा सुखी भवाम अहं।। अर्थात, ।। हे सुंदर ललाट वाले भगवान चंद्रशेखर मैं दत्तचित् होकर अपने कुविचारों को त्याग कर श्री गंगा जी के तटवर्ती निकुंज के भीतर रहता हुआअपने सिर पर हाथ जोड़कर डबडबाई हुई बिहल आंखों से शिव मंत्र का उच्चारण करता हुआ कब सुखी हो जाऊंगा।। ऐसी प्रार्थना निश्चित ही समस्त संसार के लिए कल्याणकारी होगी। श्रावण मास में इस पवित्र श्लोक के साथ भगवान शिव की कृपा भी हम सब पर बरसती रहे। हमारा प्रयास कुछ ऐसा रहे की श्रावण मास के अधिष्ठाता भगवान शंकर की कृपा श्रावण में वर्षा की बूंदौं के साथ हम पर बरस पड़े। जिनकी कृपा से तारे ,सितारे नक्षत्र ,वार ,गृह एवं राशियां सभी अनुकूल हो 

गण्यते संख्यायते तद्गणितम्। तत्प्रतिपादकत्वेन तत्संज्ञं शास्त्रं उच्यते। अर्थात ,जो परिकलन करता और गिनता है, वह गणित है तथा वह विज्ञान जो इसका आधार है वह भी गणित कहलाता है। वेदांग ज्योतिष में गणित का स्थान सर्वोपरि (मूधन्य) बताया गया है - यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा। तद्वद् वेदांगशास्त्राणां गणितं मूर्ध्नि संस्थितम् ॥ -- (वेदांग ज्योतिष - ५) (जिस प्रकार मोरों के सिर पर शिखा और नागों के सिर में मणि सर्वोच्च स्थान में होते हैं उसी प्रकार वेदांगशास्त्रों में गणित का स्थान सबसे उपर (मूर्धन्य) है। इसी प्रकार, गण्यते संख्यायते तद्गणितम्। तत्प्रतिपादकत्वेन तत्संज्ञं शास्त्रं उच्यते। अर्थात ,जो परिकलन करता और गिनता है, वह गणित है तथा वह विज्ञान जो इसका आधार है वह भी गणित कहलाता है। वेदांग ज्योतिष में गणित का स्थान सर्वोपरि (मूधन्य) बताया गया है - यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा। तद्वद् वेदांगशास्त्राणां गणितं मूर्ध्नि संस्थितम् ॥ -- (वेदांग ज्योतिष - ५) (जिस प्रकार मोरों के सिर पर शिखा और नागों के सिर में मणि सर्वोच्च स्थान में होते हैं उसी प्रकार वेदांगशास्त्रों में ग णित का स्थान स...

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Shrimati Pooja Agnihotri Dubey astrologer and government teacher of Indore Madhya Pradesh


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