*पितृ* *पक्ष* *में* *श्राद्ध* *कर्म* *का* *महत्व*------ धर्मशास्त्रों में यह बताया गया है कि पितृपक्ष के दौरान किए गए श्राद्ध कर्म से पितरों को संतोष प्राप्त होता है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यह आशीर्वाद परिवार की समृद्धि, स्वास्थ्य, और सुख-शांति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। मनुस्मृति में कहां गया है--।।श्राद्धेन पितरः तृप्ताः, तृप्ताः तु पितरः सुतान्।। अर्थात श्राद्ध से पितृ तृप्त होते हैं और तृप्त पितृ अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं पितृपक्ष में श्राद्ध करने का अत्यंत महत्व है धार्मिक मान्यता है की मृत्यु लोक से पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं इसलिए इस दौरान उनका श्राद्ध करने से उनका आशीर्वाद मिलता है तथा पितृ दोष से मुक्ति मिलती है घर में सुख शांति एवं सुख समृद्धि व संपन्नता बढ़ती है परिवार व्यवसाय एवं आजीविका में उन्नति होती है एवं कुल में वीर निरोगी शतायु और श्रेष्ठ कर्म करने वाली संतति उत्पन्न होती है एवं पूर्वजों की कृपा से जीवन में आने वाली बाधाएं समाप्त होती है। जिस तिथि को पूर्वजों का देहांत होता है उस तिथि को पितृपक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में पितरों की निमित्त जो अपनी शक्ति सामर्थ के अनुरूप शास्त्रोक्त विधि से श्रद्धा पूर्वक दान करता है और श्राद्ध कर्म करता है उसके सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं जिस किसी को अपने पूर्वजों की तिथि का ज्ञान नहीं होता वह सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन किसी ब्राह्मण को भोजन एवं दान कर सकते हैं जो सर्वाधिक कल्याणकारी होता है पितृ पक्ष को सोलह श्राद्ध महालय पक्ष अथवा अपार पक्ष के नाम से भी जाना जाता है पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है
Doughter of shrimati POOJA Agnihotri DUBkEY(श्रीमती पूजा अग्निहोत्रीदुबे)--------------।तेरा तुझको अर्पण किया लागे मेरा। - नारी है जग का आधार। मां बन कर ममत्व का अर्पण कर देती अनंत दुलार। नारी है जग का आधार।। धन्य है नारी का जन्म एवं धन्य है कन्यादान की प्रथा। मनुस्मृति के अध्याय 3 में कहा गया है ।यत्र नार्यस्तु पूजंते रमंते तत्र देवता। अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। नारी स्वयं शक्ति है एवं ब्रह्मांडकीय व्यवस्था अंतर्गत महालक्ष्मी महा सरस्वती महागौरी अपने तीनों रूपों में अवस्थित हैं शक्ति के बिना तो शिव भी शव ही है प्राचीन कहावत में बोला जाता था कन्या पराया धन होती है। निश्चित ही इसके कुछ गूढ़ार्थ होते थे। एक कन्या का पालन पोषण करके उसे अन्य को समर्पित कर देना अत्यंत कठिन कार्य है अतएव जिस घर में कन्या का जन्म हुआ है वे निश्चित ही परम भाग्यशाली हैं और दर्शन की दृष्टि से भी लें तो इस पृथ्वी पर जिसका भी जन्म हुआ है उसको अपनी अंतिम यात्रा पर अकेले ही निकालना पड़ता है और वह भी सब कुछ यहीं पर छोड़कर इसी प्रकार कन्या रूपी रत्का जन्म हमें यह तो निश्चित ही ...
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