Doughter of shrimati POOJA Agnihotri DUBkEY(श्रीमती पूजा अग्निहोत्रीदुबे)--------------।तेरा तुझको अर्पण किया लागे मेरा। - नारी है जग का आधार। मां बन कर ममत्व का अर्पण कर देती अनंत दुलार। नारी है जग का आधार।। धन्य है नारी का जन्म एवं धन्य है कन्यादान की प्रथा। मनुस्मृति के अध्याय 3 में कहा गया है ।यत्र नार्यस्तु पूजंते रमंते तत्र देवता। अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। नारी स्वयं शक्ति है एवं ब्रह्मांडकीय व्यवस्था अंतर्गत महालक्ष्मी महा सरस्वती महागौरी अपने तीनों रूपों में अवस्थित हैं शक्ति के बिना तो शिव भी शव ही है प्राचीन कहावत में बोला जाता था कन्या पराया धन होती है। निश्चित ही इसके कुछ गूढ़ार्थ होते थे। एक कन्या का पालन पोषण करके उसे अन्य को समर्पित कर देना अत्यंत कठिन कार्य है अतएव जिस घर में कन्या का जन्म हुआ है वे निश्चित ही परम भाग्यशाली हैं और दर्शन की दृष्टि से भी लें तो इस पृथ्वी पर जिसका भी जन्म हुआ है उसको अपनी अंतिम यात्रा पर अकेले ही निकालना पड़ता है और वह भी सब कुछ यहीं पर छोड़कर इसी प्रकार कन्या रूपी रत्का जन्म हमें यह तो निश्चित ही ...
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कृष्णं वंदे जगद्गुरुं
(1) ---- श्रावण मास में शिव आराधना - पवित्र श्रावण मास का अपना एक अलग ही महत्व है। बादलों से रिमझिम वर्षा के बीच मूकबद्ध एवं क्रमबद्ध वृक्षों की उपस्थिति चारों ओर हरियाली एवं सुंदर पुष्पों से सजा हुआ पृथ्वी का आंगन उस आंगन में स्थित शिवलिंग एवं शिवलिंग की समक्ष यह प्रार्थना। कदा निलिंप निर्झरी निकुंज कोटरे वसन। विमुक्त दुरमति सदा शिरस्थ मंजरी वहन।। बिलोल लोल लोचनों ललाम भाल लग्नका। शिवेति मंत्रमुच्चरन कदा सुखी भवाम अहं।। अर्थात, ।। हे सुंदर ललाट वाले भगवान चंद्रशेखर मैं दत्तचित् होकर अपने कुविचारों को त्याग कर श्री गंगा जी के तटवर्ती निकुंज के भीतर रहता हुआअपने सिर पर हाथ जोड़कर डबडबाई हुई बिहल आंखों से शिव मंत्र का उच्चारण करता हुआ कब सुखी हो जाऊंगा।। ऐसी प्रार्थना निश्चित ही समस्त संसार के लिए कल्याणकारी होगी। श्रावण मास में इस पवित्र श्लोक के साथ भगवान शिव की कृपा भी हम सब पर बरसती रहे। हमारा प्रयास कुछ ऐसा रहे की श्रावण मास के अधिष्ठाता भगवान शंकर की कृपा श्रावण में वर्षा की बूंदौं के साथ हम पर बरस पड़े। जिनकी कृपा से तारे ,सितारे नक्षत्र ,वार ,गृह एवं राशियां सभी अनुकूल हो ...
गंगा गौरी ,गाय गायत्री ही श्रेष्ठ । कौन है , इनसे पहले वसुंधरा पर ज्येष्ठ।। गंगा के विन जीवन की कल्पना तक करना व्यर्थ। गोरी ही अन्नपूर्णा सच्चे अर्थों का अर्थ।। गौ माता बिन धरती पर जीना नहीं आसान। बिन गायत्री ब्रह्मांड में मिलता नहीं सम्मान।। अर्थात, इस वसुंधरा पर गंगा जी, गौरी अर्थात अन्नपूर्णा गौ माता एवं भगवती गायत्री निश्चित ही श्रेष्ठ हैं इनसे पहले समूची वसुंधरा पर कौन बड़ा हो सकता है। गंगा जी के बिना जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती गौरी अर्थात अन्नपूर्णा ही जीवन दायिनी है। एवं सच्चे अर्थों में लक्ष्मी हैं। गौ माता के बिना मनुष्य में पुष्टि एवं संवर्धन की कल्पना तक नहीं की जा सकती और वेद माता गायत्री की कृपा के बिना ना ही वेदों का ज्ञान हो सकता है न ही इस धरा पर सम्मान प्राप्त हो सकता है। Written by shrimati Pooja Agnihotri Dubey। गण्यते संख्याय...
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