ना आशा , ना अपेक्षा तथापि हरते तापं। लोकं उन्नतो घना। बादल को ना कोई आशा है ना अपेक्षा है तथापि विश्व के ताप का हरण करता है । हे बादल तभी तो तेरा स्थान ऊंचा है।



सर्वेशामेव दानानां विद्यादानं प्रशंशयेत। अर्थात सभी प्रकार के दानों में विद्या दान की ही प्रशंसा की जाती है।

 

Comments

Popular posts from this blog

कृष्णं वंदे जगद्गुरुं