वृक्षारोपण। मत करो यह जुल्म प्रकृति पर। मत काटो वृक्षों को। अरे आग से छेड़छाड़ अच्छी नहीं जल जाओगे झुलस जाओगे। और
प्रकृति के इस भीषण तांडव को तुम सहन नहीं कर पाओगे। ना ही कोई मौसम होगा ना शीत,
ना वर्षा बस गर्मी में ही झुलस कर मर जाओगे । ना रोका अगर प्रदूषण को तो प्रकृति को संतुलित नहीं कर पाओगे। संभल जाओ नियंत्रित करो प्रदूषण को और वृक्षारोपण भी क्योंकि थोड़े असंतुलन को संतुलन में लाना
कोई मुश्किल काम नहीं। पर असंतुलन के बृहद,रूप को संतुलित कर पाना आसान नहीं। अरे जानवरों में तो बुद्धि नहीं होती तुम तो मनुष्य हो बुद्धि बल का प्रयोग करो। पर्यावरण को स्वच्छ बनाओ और वृक्षारोपण करो । क्योंकि वृक्षारोपण ही संजीवनी है पर्यावरण के लिए। और प्रदूषण को हटाना ही होगा एक स्वस्थ जीवन के लिए। तो उठो कमर कस लो कसम खा लो
एक एक वृक्ष लगे लगाने की। पर्यावरण को प्रदूषण से निजात दिलाने की। अरे बूंद बूंद करके ही घड़ा भर जाता है यह कहावत है पुराने जमाने की । श्रीमती पूजाअग्निहोत्री दुबे।
Doughter of shrimati POOJA Agnihotri DUBkEY(श्रीमती पूजा अग्निहोत्रीदुबे)--------------।तेरा तुझको अर्पण किया लागे मेरा। - नारी है जग का आधार। मां बन कर ममत्व का अर्पण कर देती अनंत दुलार। नारी है जग का आधार।। धन्य है नारी का जन्म एवं धन्य है कन्यादान की प्रथा। मनुस्मृति के अध्याय 3 में कहा गया है ।यत्र नार्यस्तु पूजंते रमंते तत्र देवता। अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। नारी स्वयं शक्ति है एवं ब्रह्मांडकीय व्यवस्था अंतर्गत महालक्ष्मी महा सरस्वती महागौरी अपने तीनों रूपों में अवस्थित हैं शक्ति के बिना तो शिव भी शव ही है प्राचीन कहावत में बोला जाता था कन्या पराया धन होती है। निश्चित ही इसके कुछ गूढ़ार्थ होते थे। एक कन्या का पालन पोषण करके उसे अन्य को समर्पित कर देना अत्यंत कठिन कार्य है अतएव जिस घर में कन्या का जन्म हुआ है वे निश्चित ही परम भाग्यशाली हैं और दर्शन की दृष्टि से भी लें तो इस पृथ्वी पर जिसका भी जन्म हुआ है उसको अपनी अंतिम यात्रा पर अकेले ही निकालना पड़ता है और वह भी सब कुछ यहीं पर छोड़कर इसी प्रकार कन्या रूपी रत्का जन्म हमें यह तो निश्चित ही ...
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