जन्म कुंडली में मांगलिक योग - जब भी जन्म कुंडली की बात होती है । तब सर्वाधिक चर्चा मांगलिक योग की होती है। जन्म पत्रिका में मंगल दोष का नाम सुनते ही लोग चिंतित हो जाते हैं । परंतु यह एक प्रकार का योग है। मांगलिक योग होना हमेशा चिंता का विषय नहीं होता। क्योंकि मांगलिक योग की दो प्रकार की स्थितियां होती हैं। एक शुभ मांगलिक योग होता है एवं दूसरा अशुभ मांगलिक योग होता है। सर्वप्रथम जानते हैं मांगलिक योग बनता कैसे हैं। जब जन्म पत्रिका के प्रथम चतुर्थ सप्तम अष्टम एवं द्वादश भाव में मंगल ग्रह विद्यमान होता है तब पत्रिका मांगलिक योग वाली बन जाती है। शुभ मांगलिक योग में जातक आकर्षक व्यक्तित्व का धनी होता है। धन संपदा से युक्त होता है। साहसी एवं पराक्रमी होता है। माता स्थान की उन्नति भी करता है भूमि भवन एवं वहां से संपन्न होता है। गणित विषय के क्षेत्र में उन्नति पाता है। तीक्ष्ण बुद्धि का स्वामी होता है। शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है। उच्च पदासीन जीवनसाथी प्राप्त करता है। आयु क्षेत्र में बल प्राप्त करता है। भाग्यशाली एवं प्रशासनिक सेवा को प्राप्त करता है। उच्च कोटि की आय एवं साहस पूर्ण यात्राओं को करता है। इस प्रकार शुभ मांगलिक योग में व्यक्ति निम्नलिखित बातों में से कोई ना कोई खूबी अवश्य प्राप्त करता है। इसी प्रकार अशुभ मांगलिक योग होने पर जातक के व्यक्तित्व में कमी करता है। संपत्ति से हीन बनाता है। भीरू एवं डरपोक बनता है। माता स्थान में कमी करता है। भूमि भवन एवं वाहन से हीन बनाता है। पागलपन एवं झगड़ालू स्वभाव का बनता है। जातक शत्रुओं से पीड़ित होता है । जीवनसाथी से वैचारिक मतभेद एवं संबंध विच्छेद तक की स्थिति बना देता है। बीमार एवं रोगी बनाता है। जातक भाग्यहीन होता है । एवं सरकारी कृपा प्राप्त नहीं कर पाता। रोजगार प्राप्त नहीं होता। आय के साधन नहीं होते। जातक भारी व्यय करता है। इस प्रकार जातक की जन्म पत्रिका में अशुभ मंगल होने पर उसके समक्ष निम्न बातों में से कोई ना कोई स्थिति अवश्य उत्पन्न होती है। श्री रामचरितमानस की निम्नलिखित चौपाइयों का नियमित पाठ करने से अशुभ मांगलिक योग से उत्पन्न समस्या में कमी की जा सकती है। एवं शुभ मांगलिक योग स्वयं प्रभावशाली हो जाता है। चौपाइया - सीताराम मनोहर जोड़ी । दशरथ नंदन जनक किशोरी।। सियाराम मय सब जग जानी । करहु प्रणाम जोरी जुग पानी ।। मोरे प्रभु तुम गुरु पितु माता । जाऊं कहां तजि पद जल जाता ।। मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सो दसरथ अजिर बिहारी ।। श्रीमती पूजा अग्निहोत्री दुबे 

Comments

Anonymous said…
Thank you very much for the valuable knowledge

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