जन्म पत्रिका में सूर्य एवं चंद्र-वेद कहता है। - चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत. श्रोत्राद्वायुश्च प्राणश्च मुखादग्निरजायत। नाभ्या आसीदन्तरिक्षं शीर्ष्णो द्यौः समवर्तत. पद्भ्यां भूमिर्दिशः श्रोत्रात्तथा लोकान् अकल्पयन्।। सूर्य आत्मा का कारक है एवं चंद्रमा मन का कारक है इस प्रकार जन्म पत्रिका में सूर्य लग्न एवं चंद्र लग्न दोनों ही महत्वपूर्ण है। जन्म पत्रिका में सूर्य लग्न से आत्मा की स्थिति एवं चंद्र लग्न से मन की स्थिति ज्ञात होती है। एवं जन्म लग्न से देह की स्थिति ज्ञात होती है। जन्म पत्रिका में सूर्य सिंह राशि में स्वच्छेत्री मेष राशि में उच्च का एवं तुला राशि में नीचे का होता है। इसी प्रकार चंद्रमा कर्क राशि में स्वच्छेत्री वृषभ राशि में उच्च का एवं वृश्चिक राशि में नीचे का होता है तथा नक्षत्र में चंद्रमा की स्थिति रोहिणी नक्षत्र में अत्यंत शुभ होती है। जितने भी दूध वाले वृक्ष हैं सब की उत्पत्ति चंद्र के कारण है चंद्रमा बीज ,औषधि, जल ,मोती, दूध , अश्व एवं मन पर शासन करता है किसी भी मनुष्य के मन की शांति व अशांति का कारण चंद्रमा ही होता है। इसी प्रकार जन्म पत्रिका में कि...